इस ब्लॉग में आज हम आपको हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) की परिभाषा ,वर्ण क्या होता है, उसके भेद आदि के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी देंगे।
जैसा की हम सब जानते है की वर्णमाला और वर्ण से जुड़े बहुत से प्रश्न ,विश्वविद्यालय विद्यालय ,तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। बहुत से विद्यार्थी इनसे जुड़े प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाते।
हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) का हिंदी भाषा में उतना ही महत्व है जितना अंग्रेजी भाषा में Alphabet का है।
हिंदी व्याकरण में हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) को उसकी आत्मा कहा गया है।
वर्णमाला के बारे में शुरू करने से पहले जरुरी है हिंदी भाषा के बारे में थोड़ा जान लिया जाए|
हिंदी भाषा(Hindi language ) की बात करे तो इसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा की “भाष” धातु से हुए है जिसका अर्थ है “बोलना या वाणी की अभिव्यक्ति”
हिंदी एक सामाजिक सम्पर्क, सांस्कृतिक एकता एवं जन जागरूकता भाषा है| इसकी लिपि “देवनागरी लिपि” है। जिस रूप में ध्वनि-चिन्ह या वर्ण लिखे जाते है ,उन्हें लिपि कहते है।
हमारा इस ब्लॉग को लिखने का बस यही उद्देश्य ही की आपको ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल पाए और आपके ज्ञान के वृद्धि हो | तो अंत तक हमारे साथ बने रहे क्यूकी ये ब्लॉग आपके लिए बहुत ही महत्पूर्ण और काफी रोचक होने वाला है।
हिंदी वर्णमाला(Hindi varanmala)
व्याकरण में हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) का अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है। हमारी हिंदी भाषा की शुरुआत हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) से ही होती है। वर्णमाला दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है – वर्ण+ माला
परिभाषा- किसी भाषा के ध्वनि चिन्हों के व्यवस्थित और क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं।
वर्ण और अक्षर की संख्या- हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) स्वर और व्यंजन से मिलकर बनी होती है। हिंदी में उच्चारण की दृष्टि से वर्णो की कुल संख्या 45 (35 व्यंजन + 10 स्वर)तथा लेखन की दृष्टि से वर्णो की कुल संख्या 52(13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन )है। हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाली सबसे छोटी इकाई वर्ण है।
वर्ण किसे कहते है?
मनुष्य बोलने के लिए जिस सार्थक और अर्थपूर्ण ध्वनि का प्रयोग करता है उसे भाषा कहा जाता है। भाषा को व्यक्त और लिखने के लिए जिन चिन्ह का उपयोग किया जाता है “वर्ण” कहलाता है । वर्ण छोटी इकाई ध्वनि होती है।
अगर परिभाषा की बात करे तो ”भाषा की सबसे छोटी इकाई जिसके ओर टुकड़े न किये जा सके वर्ण कहलाते है”।
वर्ण के प्रकार
हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) के अनुसार वर्ण दो प्रकार के होते है।
- स्वर
- व्यंजन
स्वर किसे कहते हैं?
स्वर – जिन वर्णो का उच्चारण बिना किसी अवरोध तथा बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से होता है, उन वर्णों को स्वर कहते हैं।
उदाहरण:- “अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ”
स्वर मात्रा संकेत सहित – अ , आ ( ा ) , इ ( ि ) , ई ( ी ) , उ (ु ) , ऊ (ू ) , ऋ (ृ ) , ए (े ) , ऐ (ै ) , ओ (ो ) , औ (ौ )
अनुस्वर – अं
विसर्ग – अः (ाः )
- पहले हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) में स्वरों की संख्या 14 थी। जैसे : अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ औ
- ऋ और लृ एवं लृ इन दोनों का प्रयोग अब नहीं होता । जिस कारण अब हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) में स्वरों (Vowels) की संख्या 11 रह गई है।
स्वरों का वर्गीकरण
स्वरों को बोलने के लिए जिस आधार की जरुरत होती है उनको हम 4 भागो में बांटते है।
- उच्चारण के आधार पर
- जीभ के द्वारा बोले जाने के आधार पर
- नाक या मुँह से निकलने वाले स्वर
- मुँह के द्वारा बोले जाने वाले स्वर
उच्चारण के आधार पर बोले जाने वाले स्वर
1. ह्रस्व स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण करते हुए कम समय लगता हो उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। जैसे – अ, इ, उ
2. दीर्घ स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण करते हुए ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता हो उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे की – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
दीर्घ स्वर दो शब्दों के योग से बनते है।
जैसे:-
आ = (अ +अ )
ई = (इ +इ )
ऊ = (उ +उ )
ए = (अ +इ )
ऐ = (अ +ए )
ओ = (अ +उ )
औ = (अ +ओ )
3. प्लुत स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण करते हुए हस्व स्वरों से लगभग तीन गुना अधिक समय लगे उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। जैसे की – ओ३म् , हे राम आदि।
जीभ के द्वारा बोले जाने के आधार पर
जीभ के द्वारा बोले जाने वाले स्वरों को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जाता हैं::
अग्र स्वर – जिन स्वरों के बोलने पर जीभ का अग्र भाग प्रयोग होता हो , उसे अग्र स्वर कहते है।
उदहारण – इ, ई, ए, ऐ।
मध्य स्वर- जिन स्वरों के बोलने में जीभ के मध्य भाग का उपयोग होता हो, मध्य स्वर कहलाते है।
उदहारण – अ
पश्च स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ के पिछले भाग का उपयोग होता हो।
उदहारण – आ, उ, ऊ, ओ, औ आदि।
नाक या मुँह से निकलने वाले स्वर के आधार पर
जो स्वर नाक या मुँह की मदद से बोले जाते हैं, इन्हें हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) के इनको मौखिक स्वर कहा जाता है । जब ये स्वर बोले जाते है तो हवा हमारे मुख और नाक से निकलती है। जैसे – अ, आ, इ आदि।
मुँह के द्वारा बोले जाने वाले स्वर के आधार पर
सभी प्रकार के स्वरों को मुँह से बोले जाने वाले स्वर की श्रेणी में रखा गया है। इसमें सभी प्रकार स्वर शामिल होते हैं, जिन्हें हम मुँह के द्वारा बोलते है, इनकी संख्या सबसे ज्यादा होती है। जैसे – अँ, आँ, इँ आदि।
व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं?
व्यंजन :- व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण स्वर की सहायता से होता है अर्थात बिना स्वरों की सहायता से व्यंजन वर्ण बोले ही नहीं जा सकते। यह संख्या में 33 हैं।
जैसे : क वर्ण का उच्चारण क और अ वर्ण से किया जाता है।
जीभ और होठो की स्थिति के आधार पर व्यंजन को चार भांगो में विभाजित किया जाता है . यह चार भाग निम्न अनुसार हैं:
- स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan)
- अंतःस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan)
- उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan)
- संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan)
स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan)-
जिस व्यंजन के उच्चारण में जीभ या मुह का निचला भाग ऊपर उठ कर उपरी भाग को स्पर्श करे , स्पर्श व्यंजन कहलाता है। स्पर्श व्यंजन का उच्चारण करते समय हवा मुह के अन्दर थोड़ी देर के लिए रूकती हैं. और ऐसे में जो श्वास होती है वो भी थोड़े समय के लिए रुक जाती हैं.
स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या = 27 (क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म )
स्पर्श व्यंजन को पाँच वर्गों में बांटा गया है और प्रत्येक वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं।
प्रत्येक वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है।
क वर्ग | क् ख् ग् घ् ड़् |
च वर्ग | च् छ् ज् झ् ञ् |
ट वर्ग | ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ्) |
त वर्ग | त् थ् द् ध् न् |
प वर्ग | प् फ् ब् भ् म् |
अंतःस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan)-
जिन वर्णो के उच्चारण में जीभ/जिह्व, दाँत, तालु, और होंठों के परस्पर सटने लगे , लेकिन कहीं पूरी तरह से स्पर्श न करे ,अंतःस्थ व्यंजन कहलाते है । अन्तःस्थ व्यंजन को अर्द्धस्वर’ भी जाता हैं।
अंतःस्थ व्यंजनों की कुल संख्या = 4 (य, र, ल, व)
उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan)-
जिन वर्णो के उच्चारण करते समय एक विशेष प्रकार की ऊष्मा अर्थात गरम हवा निकलती हो उष्म व्यंजन कहते है। इनके उच्चारण में श्वास लेने की प्रबलता रहती है।
उष्म व्यंजन की कुल संख्या = 4 (श , ष , स , ह )
कंठ्य | (गले से) | क, ख, ग, घ, ङ |
तालव्य | (कठोर तालु से) | च, छ, ज, झ, ञ, य, श |
मूर्धन्य | (कठोर तालु के अगले भाग से) | ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, ष |
दंत्य | (दाँतों से) | त, थ, द, ध, न |
वर्त्सय | (दाँतों के मूल से) | स, ज, र, ल |
ओष्ठय | (दोनों होंठों से) | प, फ, ब, भ, म |
दंतौष्ठय | (निचले होंठ व ऊपरी दाँतों से) | व, फ |
स्वर | (यंत्र से) | ह |
संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan)-
दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से जो व्यंजन बनते हैं, वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं।
इसमें पहला व्यंजन जो है वो स्वर रहित होता है तथा दूसरा व्यंजन स्वर सहित होता है।
संयुक्त व्यंजनों की कुल संख्या = 4(क् + ए = क्ष, त् + र् = त्र, ज् + ञ् = ज्ञ, श् + र् = श्र)
क्ष | क् + ष + अ | (रक्षक, भक्षक, क्षोभ, क्षय) |
त्र | त् + र् + अ | (पत्रिका, त्राण, सर्वत्र, त्रिकोण) |
ज्ञ | ज् + ञ + अ | (सर्वज्ञ, ज्ञाता, विज्ञान, विज्ञापन) |
श्र | श् + र् + अ | (श्रीमती, श्रम, परिश्रम, श्रवण) |
Conclusion
आज इस ब्लॉग में, हमनें आपको हिंदी वर्णमाला (Hindi varanmala) वर्ण स्वर और व्यंजन इत्यादि के बारे में बताया।
हमें उम्मीद है की आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा और आपको कुछ सिखने को मिला होगा। हिंदी व्याकरण से जुड़े अगर कोई भी प्रश्न यदि आपके मन में है तो आप कमेन्ट कर के हम से पुछ सकते है।
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FAQs
हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं?
हिंदी वर्णमाला के अनुसार वर्ण दो प्रकार के होते है।
1.स्वर
2. व्यंजन
संस्कृत वर्णमाला में कितने अक्षर होते हैं?
संस्कृत वर्णमाला में 54 अक्षर होते हैं।