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शब्दांश या अव्यय जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ बनाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के साथ जुड़कर नया शब्द बनाना।
जो शब्दांश शब्दों के अंत में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ मतलब लाते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रत्यय
उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर
उपसर्ग
उपसर्ग शब्द के शुरू में जुड़ता है।
उपसर्ग जुड़ने पर मूल शब्द का अर्थ बदल सकता है।
उदाहरण- प्र+चार= प्रचार इसमें प्र उपसर्ग है, जो चार शब्द के पहले जुड़ा है।
प्रत्यय
प्रत्यय जुड़ने पर अर्थ मूल शब्द के इर्द-गिर्द ही रहता है। उदाहरण- इतिहास+इक= ऐतिहासिक इसमें ‘इक’ प्रत्यय है, जो शब्द के अंत में जुड़ा है।
उपसर्ग के सामान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के शब्द 1. का उपसर्ग : एक्स का अर्थ होता है निषेध 2. कु उपसर्ग : कु का अर्थ होता है हीन – कुपुत्र आदि। 3. चिर उपसर्ग : चिर का अर्थ होता है बहुत देर 4. अ उपसर्ग : अ का अर्थ होता है निषेध , अभाव 5. अन उपसर्ग : अन का अर्थ होता है निषेध 6. अंतर उपसर्ग : अंतर का अर्थ होता है भीतर
संस्कृत के उपसर्ग – तत्सम शब्दों में प्रयोग किये जाने वाले उपसर्ग संस्कृत के उपसर्ग होते हैं। हिंदी के उपसर्ग – तद्भव शब्दों में प्रयोग किये जाने वाले उपसर्ग को हिंदी के उपसर्ग कहते हैं। आगत उपसर्ग – हिंदी में प्रयोग किये जाने वाले विदेशी भाषाओं (अरबी, फारसी, उर्दू, अंगेजी) के उपसर्ग आगत उपसर्ग कहलाते हैं।
अक = लेखक , नायक , गायक , पाठक अक्कड = भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़ आक = तैराक , लडाक आलू = झगड़ालू आकू = लड़ाकू , कृपालु , दयालु आड़ी = खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी इअल = अडियल , मरियल , सडियल एरा = लुटेरा , बसेरा ऐया = गवैया आदि
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