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गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास सीर गोबर्धनगाँव में हुआ था. इनकी माता कलसा देवी एवं पिता संतोख दास जी थे. इनका जन्म 1376-77 के आस पास हुआ था, कुछ कहते है 1399 CE.
बचपन में रविदास जी अपने गुरु पंडित शारदा नन्द की पाठशाला में शिक्षा लेने जाया करते थे. कुछ समय बाद ऊँची जाति वालों ने उनका पाठशाला में आना बंद करवा दिया था.
लोगों का कहना है, भगवान् ने धर्म की रक्षा के लिए रविदास जी को धरती में भेजा था, क्यूंकि इस समय पाप बहुत बढ़ गया था, लोग धर्म के नाम पर जाति, रंगभेद करते थे.
रविदास जी को उनकी जाति वाले भी आगे बढ़ने से रोकते थे. शुद्र लोग रविदास जी को ब्रह्मण की तरह तिलक लगाने, कपड़े एवं जनेऊ पहनने से रोकते थे.
रविदास जी के पिता की मौत के बाद उन्होंने अपने पड़ोसियों से मदद मांगी, ताकि वे गंगा के तट पर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सकें. ब्राह्मण इसके खिलाफ थे,
भारत के इतिहास के अनुसार बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई जीत कर, दिल्ली में कब्ज़ा किया था. बाबर गुरु रविदास जी के आध्यात्मिक शक्तियों के बारे में बहुत अच्छे से जानता था
गुरु रविदास जी की सच्चाई, मानवता, भगवान् के प्रति प्रेम, सद्भावना देख, दिन पे दिन उनके अनुयाई बढ़ते जा रहे थे. दूसरी तरफ कुछ ब्राह्मण उनको मारने की योजना बना रहे थे.
रविदास जी जैसे जैसे बड़े होते जाते है, भगवान राम के रूप के प्रति उनकी भक्ति बढ़ती जाती है. वे हमेशा राम, रघुनाथ, राजाराम चन्द्र, कृष्णा, हरी, गोविन्द आदि शब्द उपयोग करते थे,