Parshuram Jayanti(परशुराम जयंती)

परशुराम जयंती हिन्दू पंचांग के वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इसे “परशुराम द्वादशी” भी कहा जाता है. अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन दिये गए पुण्य का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता . अक्षय तृतीया से त्रेता युग का आरंभ माना जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है.

परशुराम शब्द का अर्थ (Parshuram word meaning)

परशुराम दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है. परशु अर्थात “कुल्हाड़ी” तथा “राम”. इन दो शब्दों को मिलाने पर “कुल्हाड़ी के साथ राम” अर्थ निकलता है.

परशुराम किसके अवतार थे

ऐसा मान्यता है कि भगवान परशुराम भगवान विष्णु के जी के 6वें अवतार के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे.

कौन थे परशुराम ? (Who is Parshuram)

– परशुराम ऋषि जमादग्नि तथा रेणुका के पांचवें पुत्र थे. ऋषि जमादग्नि सप्तऋषि में से एक ऋषि थे.

परशुराम जी के पिता का नाम, परिवार एवं कुल वंश

– परशुराम सप्तऋषि जमदग्नि और रेणुका के सबसे छोटे पुत्र थे.

– परशुराम भारद्वाज एवं कश्यप गोत्र के कुलगुरु भी माने जाते हैं.

परशुराम जी के गुरु कौन थे

भगवान विष्णु जी भगवान शिव को अपना भगवान मानते हैं इसलिए परशुराम जी भी शिव भक्त थे. अतः भगवान परशुराम जी के गुरु भगवान शिव शंकर जी थे.

परशुराम जी के शिष्य कौन कौन थे

भगवान परशुराम जी ने महाभारत के समय में भीष्म पितामाह, गुरु द्रोणाचार्य एवं कर्ण आदि को शस्त्र एवं अस्त्र की शिक्षा प्रदान की थी. इसलिए वे इन सभी महानुभाव के गुरु कहे जाते हैं.

परशुराम जयंती का महत्व

– इस दिन बड़े बड़े जुलूस, शोभायात्रा निकाले जाते हैं. इस शोभायात्रा में भगवान परशुराम को मानने वाले सभी हिन्दू, ब्राह्मण वर्ग के लोग भारी से भारी संख्या में शामिल होते हैं.

2022 में परशुराम जयंती की तिथि कब है? (Parshuram Jayanti 2022 Date)

इस वर्ष 2022 में परशुराम जयंती 3 मई को आने वाली है. यह दिन सिंहस्थ के पर्व का भी है. इसलिए इस दिन की मान्यता और भी अधिक बढ़ जाती है.

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