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जयशंकर प्रसाद जी, यह नाम आखिर कौन नहीं जानता, हिंदी साहित्य में इन्होने जो अपना अहम योगदान दिया है, उसके लिए पूरा हिंदी साहित्य इनका हमेशा आभारी रहेगा।

इन्होने बहुत सारी अदभुत रचनाओं की रचना की है, जिन्हें लोग आज भी पढ़ते है और आज इनकी तारीफ करें बने नहीं रह पाते। 

इनके हिंदी साहित्य में इतने अहम योगदान की वजह से कक्षा 5 से ही इनकी किवताओं को स्कूली बच्चो के पाठ्यक्रम में शमिल कर दिया जाता है। 

कोई भी छात्र आज चाहे वह किसी भी कक्षा में हो, उसने कभी ना कभी इनकी किसी रचना को पढ़ा ही होगा, आज हम इसी अदभुत व्यक्ति के बारे में आपको बताने वाले है। 

आज हम आपको Jaishankar Prasad ka jivan parichay (जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय) कैसे लिखते है, यह बिलकुल विस्तार से बताने वाले है। 

यह इतनी महान शख्सियत थे की इनके जीवन के बारे में हर एक छात्र को पता हो और वह इनके जीवन से कोई शिक्षा ले, इसलिए इनके जीवन परिचय को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। 

एग्जाम के नज़रिये से भी जयशंकर प्रसाद जी के जीवन परिचय का बहुत अधिक महत्व है। यदि आपको इनका जीवन परिचय नहीं लिखना आता तो कोई चिंता की बात नहीं है। 

क्यूंकि आज की इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे की कैसे आप Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिख सकते हो। 

Jaishankar Prasad ka jivan parichay कैसे लिखें?

हम आपके साथ Jaishankar Prasad ka jivan parichay नीचे शेयर करेंगे, आप उसको वहां से पढ़ सकते हो, लेकिन course mentor वेबसाइट का मकसद केवल जनकारी देना नहीं रहता। 

हम हमेशा कोशिश करते है की अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने पाठको को कुछ सीखा सके, इसलिए इनके जीवन परिचय के बारे में बताने से पहले हम जल्दी से बता देते है की Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिखना कैसे होता है। 

इनका जीवन परिचय लिखने के लिए या फिर किसी ओर का जीवन परिचय लिखने के लिए भी आपको इन चीज़ो को अपने ब्लॉग में लिखना होता है -:

  • जीवन -: सबसे पहले हम जयशंकर प्रसाद जी के पुरे जीवन के बारे में लिखेंगे, हम यहाँ यह कोशिश करते है की कम से कम शब्दों में उनके बारे में अधिक से अधिक बाते बताई जा सकें। 
  • रचनाएँ -: उसके बाद हम उनकी रचनाओं के बारे में लिखेंगे, हम इस सेक्शन में उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं जैसे की कविताये, कहानियां, उपन्यास आदि की चर्चा करेंगे। 
  • साहित्यक विशेषताएं या काव्यगत विशेषताएं -: उसके बाद आती है किसी भी रचनाकार के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बातें, उनके साहित्यक और काव्यगत विशेषताएं। 

यदि आपके पाठ्यक्रम में उनकी किसी कविता की बात हो रही है तो आप काव्यगत विशेषताएं लिखेंगे, नहीं आप उनकी साहित्यक विशेषताओं को लिख सकते है। 

  • भाषा शैली -: यहाँ हम रचनाकार की भाषा के बारे में लिखते है वह जिस तरह के शब्दों को लिखते है, वह किस प्रकार के है, वह पाठको को किस प्रकार से प्रभावित करते है। 

ऐसे आप Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिख सकते है, अगले सेक्शन में हमनें इनके जीवन परिचय को लिख कर भी दिखाया है।

इस से आप Jaishankar Prasad ka jivan parichay ओर अच्छे से लिख सिख सकोगे, आपको निचे उनकी काव्यगत विशेषताएं और साहित्यक विशेषताएं दोनों देखने को मिल जायेगी। 

क्यूंकि पूरी जानकारी देना हमारी ज़िम्मेदारी है, लेकिन आपको अपने जीवन परिचय में आपके पाठ्यक्रम के अनुसार ही लिखना है, जैसा की हम आपको ऊपर बता चुके है। 

आप चाहे तो दोनों भी लिख सकते है, इसमें भी आपको किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, तो यह आप निर्भर करता है की आप दोनों लिखना चाहते है और या फिर इनमें से कोई एक। 

Jaishankar Prasad ka jivan parichay

चलिए अब हम Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिखना शुरू करते है और देखते है की हम इनके जीवन परिचय को कैसे लिख सकते है।

जैसे हमनें ऊपर आपको जीवन परिचय लिखने के बारे में बताया है, हम कुछ उसी प्रकार से इस जीवन परिचय को लिखेंगे ताकि आपको अच्छे से समझ आये। 

आपको यहाँ साहित्यक और काव्यगत दोनों विशेषताएं देखने के मिल जायेगी, आप इसमें से अपने अनुसार कोई भी लिख सकते हो। 

हमें आशा है की यह आपके लिए मददगार साबित होगा। 

Jaishankar Prasad ka jivan parichay

जयशंकर प्रसाद जी का पूरा नाम महाकवि जयशंकर प्रसाद जी था। उनका जन्म 30 जनवरी 1889 को वाराणसी उत्तरप्रदेश में हुआ था।

जयशंकर प्रसाद जी के पिता का नाम बाबू देवीप्रसाद और माता जी का नाम मुन्नी देवी था। इनका जन्म एक बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। जयशंकर प्रसाद जी का परिवार सुंघनी साहू के नाम से काफी प्रसिद्ध था।

इनके पिता जी व्यापारी हुआ करते थे। इनकी जो शुरुआती शिक्षा है वह इनको घर से ही प्राप्त हुई। इन्होने खुद पढ़ाई कर के ही हिंदी, संस्कृत, उर्दू और फारसी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए यह पहले क्वींस विद्यालय में गए, लेकिन वहां पर उनका मन नही लग पाया और वह वहां केवल आठवी तक ही शिक्षा प्राप्त कर पाए। जब वह केवल 12 वर्ष के थे तब उसके पिता जी की मृत्यु हो गई।

उसके बाद इनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारियां आ गई, कुछ समय बाद इनकी माता जी की भी अकाल मृत्यु हो गई। माता पिता के चले जाने के बाद इनको बड़ी कठिनायों का सामना करना पड़ा।

इनके बड़े भाई ने उस समय शंकर प्रसाद जी की जिम्मेदारियों को संभाला और उनकी पढ़ाई लिखाई को प्रबंध भी वो करने लगे, लेकिन कुछ समय के बाद इनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई।

इन्होने ने अपने जीवन में बहुत मुश्किलों का सामना किया। इन्होने 3 शादियां की, लेकिन उनकी तीनों पत्नियों की अकाल मृत्यु हो गई। इसी बीच उनके छोटे भाई की भी मृत्यु हो गई।

अपने इतने लोगो की मृत्यु ने जयशंकर प्रसाद जी को अंदर से तोड़ कर रख दिया, जिस से उनके स्वास्थ्य पर भी बहुत प्रभाव पड़ने लगा। खराब हो रहे स्वास्थ्य की वजह से यह महान शख्सियत सन 1937 में केवल 48 वर्ष की उम्र में इस दुनिया से स्वर्ग की ओर चली गई।

जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ

जयशंकर प्रसाद जी ने अपने जीवन में बहुत सारी रचनाओं की रचना की, उन्होंने कईं नाटक, कहानियां, कविताएं, उपन्यास आदि लिखें।

उनकी प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार है -:

नाटक -: स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, राजश्री, करुणालय, एक घूंट, अजातशत्रु, कामना, ध्रुवस्वामिनी आदि कईं इनके प्रमुख नाटक है।

कहानी संग्रह -: छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, इंद्रजाल आदि इनके प्रमुख कहानी संग्रह है।

आकाशदीप और पुरुस्कार इनकी प्रमुख कहानियां है।

उपन्यास -: इन्होने 3 उपन्यास लिखे है जो की है तितली, कंकाल और इरावती। इरावती इनका एक अधूरा उपन्यास है।

इनके प्रमुख है काव्य है झरना, लहर, आंसू इत्यादि।

इनका निबंध संग्रह है काव्य कला और इनका महाकाव्य है कामायानी।

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय

जयशंकर प्रसाद जी को बचपन से हिंदी साहित्य से प्रेम था। मात्र 9 साल की उम्र में ही उनको अपना पहला सवैया कलाधर लिख कर दिया था। उनकी साहित्य में राष्ट्रीय भाव और प्रेम भावना साफ झलकती है।

राष्ट्रीय भावना तो उनके साहित्य में कूट कूट कर भरी है, इनके अधिकतर रचनाओं में देश के प्रति समर्पण और देशवासियों के प्रति दयालुता देखने को मिलती है। 

राष्ट्रीय भाव के साथ प्रेम भावना भी इनके साहित्य की प्रमुख विशेषता है, इनके साहित्य में आत्मिक प्रेम का वर्णन देखने को मिलता है। इनके नाटकों में प्रेम के ऐसे बहुत से उदहारण देखने को मिलते है, जहां इन्होने बताया है की प्रिय को पाना केवल प्रेम नही है, बल्कि प्रिय के लिए अपने प्रेम का बलिदान देना प्रेम है

प्रसाद जी अपनी रचनाओं के जरिए कईं जगहों की प्रकृति का वर्णन करते है। उनकी रचना लहर में ऐसी अनेक कविताएं है, जहां पर आपको प्रकृति वर्णन देखने को मिलता है। वह बहुत ही खूबसूरती से अपनी रचनाओं में प्रकृति वर्णन करते थे।

इनकी रचनाओं में नारी भावना भी देखने को मिलती है। जयशंकर प्रसाद जिनेक छायावादी कवि थे, वह अपनी रचनाओं में नारी को ऐसा सौंदर्य प्रदान करते थे की वह किसी प्रलोक के काल्पनिक देवी लगती थी, जिसमें प्रेम, सौंदर्य और बहुत अधिक भावनाएं है।

जयशंकर प्रसाद की काव्यगत विशेषताएँ

जयशंकर प्रसाद जी की रचनाएं प्रेम, सौंदर्य, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विषयों और भावों को शब्दो में पिरो कर काव्यप्रेमियों के सामने पेश किया करते थे।

उनकी रचनाओं में राष्ट्र प्रेम की भावना देखने के मिलती है। राष्ट्र प्रेम उनकी रचनाओं का अहम हिस्सा था, वह अपनी रचनाओं से लोगो को अपने राष्ट्र से प्रेम करने का संदेश दिया करते थे।

प्रसाद जी अपनी रचनाओं में सौंदर्य वर्णन भी संजीवता और सटीकता से किया करते थे, वह हिंदी काव्य में छायावादी रचनाओं के प्रवर्तक है, उनकी रचनाओं में छायावादी रचनाओं की सभी विशेषताएं देखने को मिल जाती है।

प्रसाद जी के काव्य का कलापक्ष पूर्ण रूप से संतुलित है, उनकी भाषा शैली और उनका लिखना का तरीका उन्हें पूर्ण रूप से महाकवि का दर्जा देता है।

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली

जयशंकर प्रसाद जी की भाषा सरल, सहज और प्रवाहमयी है। उन्होने शुरुआत ब्रजभाषा से की थी, लेकिन बाद में खडीबोली को अपनाकर उसे अपनी काव्य भाषा बना लिया। जिस तरह से जयशंकर प्रसाद जी शब्दो का चयन करतें थे, वह उनकी रचनाओं को समझने में काफी आसान बना देता था।

वह अपनी रचनक में छंद और अलंकारों का भी बहुत अच्छे से प्रयोग किया करते थे। उनकी भाषा की इतनी विशेषताएं की वजह से ही लोग उन्हें महाकवि कहते है।

Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay कक्षा 10

Jaishankar Prasad ka jivan parichay 10वीं कक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, 10वीं कक्षा जैसा की आप जानते हो की boards की होती है। 

और इस boards की परीक्षा में अक्सर जयशंकर प्रसाद जी के जीवन परिचय के बारे  में पूछा जाता है, वैसे तो जीवन परिचय में कक्षा के अनुसार कोई अंतर नहीं होता तो आप दिए गए जीवन परिचय को भी याद कर सकते है। 

लेकिन हम यहाँ फिर भी कुछ बाते बता देते है जिस से की यदि आप 10वीं कक्षा के लिए Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिख रहे है तो आपको बहुत सहायता मिलेगी। 

सबसे पहले तो आप इसे रटने की कोशिश ना करें, आप कुछ टेक्निक्स के इस्तेमाल से इसे अच्छे से याद कर सकते है। 

जीवन परिचय को याद करने के लिए आप केवल उनके जन्म, उनके जन्म स्थान, माता पिता के नाम और मृत्यु को याद कर लीजिये। 

जीवन परिचय में बाकि चीज़े भी महत्वपूर्ण होती है, लेकिन यदि आप जन्म और ऊपर बताई गयी महत्वपूर्ण चीज़ो को भी याद कर लेते है तो भी आप इसमें थोड़े अंक प्राप्त कर सकते हो। 

उसके बाद यदि आप इनकी कुछ प्रमुख रचनाओं को याद कर सकते हो, आप इनके तीनो उपन्यास के याद कर लो और बाकि रचनाओं से केवल कुछ कुछ नाम याद कर लो। 

फिर आप आपके पाठ्यक्रम के अनुसार यदि इनकी कोई कहानी आपके पाठ्यक्रम में है तो आप साहित्यक विशेषता लिख सकते हो और यदि इनकी कविता आपके पाठ्यक्रम में है तो आप इनकी काव्यगत विशेषताओं को लिख सकते हो। 

फिर आती है भाषा शैली, यदि हम यहाँ आपको एक टिप दे तो हम यही कहेंगे की भाषा शैली में कुछ लाइन्स सरल, सहज जैसी ऐसी होती है, जिसे आप किसी के भी जीवन परिचय में लिख। 

Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay कक्षा 12

यदि आप 12वीं कक्षा में हो और Jaishankar Prasad ka jivan parichay को याद करना चाहते हो तो इसमें कुछ खास अलग बताने जैसा तो नहीं है। 

आप सबसे पहले तो हमारे द्वारा ऊपर लिखा जयशंकर प्रसाद जी पर जीवन परिचय पढ़ सकते हो, वह जीवन परिचय बहुत ही सरल भाषा में लिखा हुआ है तो आप उसे पढ़ कर याद कर सकते हो। 

जीवन परिचय में मुख्यता आपको जन्म, जन्म स्थान और मृत्यु आदि को ही याद करना होता है, बाकि जानकारी तो एक दो बार पढ़ने से ही समझ आ जाती है। 

इसके अलावा यदि आप इसे और अच्छे से याद करना चाहते हो तो जो टिप्स हमने कक्षा 10वीं के लिए शेयर की है, आप उसे पढ़ सकते। 

आप प्रमुख रचना के नाम थोड़े अधिक याद कर लीजियेगा, लेकिन यदि आप अधिक नाम याद नहीं कर पाते तो फिर भी कोई बात नहीं, लेकिन फिर भी आप एक बार याद करने का प्रयत्न ज़रूर कीजियेगा। 

उसके बाद तो आपको आपके पाठ्यक्रम के अनुसार साहित्यक या काव्यगत विशेषताएं लिखनी है और उसके बाद आप भाषा शैली को लिख कर जीवन परिचय को अंत कर सकते हो। 

जयशंकर प्रसाद के उपन्यास

जयशंकर प्रसाद जी ने तीन उपन्यासों की रचना की है, हम यहाँ आपको उन उपन्यासों के नाम बताएंगे, आप इन उपन्यासों के नामो को Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिखते समय इस्तेमाल कर सकते हो। 

इनके 3 उपन्यासों का नाम है -:

  1. कंकाल
  1. तितली
  1. इरावती

जयशंकर प्रसाद जी ने यह 3 उपन्यास लिखे थे, कंकाल जयशंकर प्रसाद जी का पहला उपन्यास था, इस उपन्यास में उन्होंने धर्म के नाम पर होने वाले अनाचारों पर लोगो का ध्यान अंकित किया था। 

उनका दूसरा उपन्यास तितली था, इसमें उन्होंने ग्रामीण जीवन के सुधार को लेकर लोगो को ध्यान आकर्षित किया था, शुरुआत में उनकी अलग सोच की वजह से उनके उपन्यासों की कुछ लोगो ने आलोचना भी की। 

लेकिन फिर उसके बाद लोगो ने उनके उपन्यासों को और उनके महान विचारो को समझना शुरू कर दिया। 

इरावती जयशंकर प्रसाद जी की अंतिम उपन्यास था, दुर्भाग्य से उनका यह उपन्यास अधूरा है, क्यूंकि इस उपन्यास को पूरा करने से पहले ही जयशंकर प्रसाद जी इस दुनिया से परलोक चले गए। 

और यह साहित्य का दुर्भाग्य यह उपन्यास ऐसे ही अधूरा रह गया। 

जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कहानियां

जयशंकर प्रसाद जी ने ढेर सारे कहानी संग्रह लिखे है, जिसमें उन्होंने बहुत सारी कहानियाँ लिखी है, उनकी लिखी कहानियां कुछ इस प्रकार है -:

  • चंदा
  • गुंडा
  • स्वर्ग के खंडहर में
  • पंचायत
  • जहांआरा
  • मधुआ
  • उर्वशी
  • इंद्रजाल
  • गुलाम
  • ग्राम
  • भीख में
  • चित्र मंदिर
  • ब्रह्मर्षि
  • पुरस्कार
  • रमला
  • छोटा जादूगर
  • बभ्रुवाहन
  • विराम चिन्ह
  • सालवती
  • अमिट स्मृति
  • रसिया बालम
  • सिकंदर की शपथ
  • आकाशदीप
  • देवदासी
  • बिसाती
  • प्रणय-चिह्न
  • नीरा
  • शरणागत

जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कविताऐं

जयशंकर प्रसाद जी ने अपने जीवन में बहुत सारी कविताएं की रचना की है, उनके प्रमुख काव्य संग्रह कुछ इस प्रकार है -:

  1. कामायनी
  1. आँसूं
  1. झरना
  1. कानन-कसुमु
  1. लहर

आदि इनकी प्रमुख काव्य संग्रह है। 

इन्होने इतनी काव्य रचनाये की है की हम उन सबका नाम यहाँ पर लिख सकते है, लेकिन फिर भी हम उनकी कुछ काव्य कवितायों के नाम यहाँ लिख रहे है, 

आप Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिखते हुए, इन कविताओं का नाम उनकी रचनाओं में लिख सकते है -:

  • हे सागर संगम अरुण नील
  • आह रे,वह अधीर यौवन
  • ओ री मानस की गहराई
  • अपलक जगती हो एक रात
  • जग की सजल कालिमा रजनी
  • तुम्हारी आँखों का बचपन
  • कितने दिन जीवन जल-निधि में
  • पेशोला की प्रतिध्वनि
  • आँखों से अलख जगाने को
  • अब जागो जीवन के प्रभात
  • शेरसिंह का शस्त्र समर्पण
  • उस दिन जब जीवन के पथ में
  • अंतरिक्ष में अभी सो रही है
  • मधुर माधवी संध्या में
  • निधरक तूने ठुकराया तब
  • अरे!आ गई है भूली-सी
  • शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा
  • अरे कहीं देखा है तुमने
  • काली आँखों का अंधकार
  • चिर तृषित कंठ से तृप्त-विधुर
  • कोमल कुसुमों की मधुर रात
  • जगती की मंगलमयी उषा बन
  • वसुधा के अंचल पर

ऐसे इनकी बहुत सारी रचनाएँ है, लेकिन यदि आप Jaishankar Prasad ka jivan parichay में रचनाए लिखना चाहते है तो आप इन सब रचनाओं तो लिखेंगे नहीं,

तो उसके लिए आप इनकी प्रमुख रचनाओ के नाम लिख सकते है, जो की कुछ इस प्रकार है -:

  • चित्राधार
  • आह ! वेदना मिली विदाई
  • बीती विभावरी जाग री
  • दो बूँदें
  • प्रयाणगीत
  • तुम कनक किरन
  • भारत महिमा
  • अरुण यह मधुमय देश हमारा
  • आत्‍मकथ्‍य
  • सब जीवन बीता जाता है
  • हिमाद्रि तुंग शृंग से

जयशंकर प्रसाद जी के लिखे नाटक

जयशंकर प्रसाद जी बहुत अलग अलग तरीके की रचनाएं किये करते थे, वह नाटक भी लिखा करते थे, उन्होंने कईं प्रसिद्ध नाटक लिखें है, उनमें से कुछ प्रसिद्ध नाटक कुछ इस प्रकार है -:

  • सज्‍जन
  • कल्‍याणी
  • परिणय
  • करुणालय
  • प्रायश्‍चित
  • राज्‍यश्री
  • विशाख
  • अजातशत्रु

जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कब हुई?

जयशंकर प्रसाद जी की मृत्यु 15 नवंबर 1937 को केवल 47 वर्ष की उम्र में हो गयी थी। जयशंकर प्रसाद जी एक संयमी इंसान थे, लेकिन उनके जीवन में आयी कठिनायों ने उनको झकझोर के रख दिया। 

इन्ही परेशानियों ने उन्हें अंदर से तोड़ कर रख दिया, जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य खराब होना शुरू हो गया और फिर स्वास्थ्य खराब होने के कारण ही जयशंकर प्रसाद जी 47 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को छोड़ कर परलोक सिधार गए। 

कामायनी उनकी अंतिम रचना थी, जिस समय उनकी मृत्यु हुई, वह उस समय एक उपन्यास इरावती लिख रहे थे, जिसे वह पूरा नहीं कर सके। 

जयशंकर प्रसाद जी वैसे तो हमें छोड़ कर चले गए लेकिन वह आज भी अपनी रचनाओं के माध्यम से हमारे बीच ज़िंदा है। 

Conclusion

हमें आशा है की आपको आज का यह ब्लॉग Jaishankar Prasad ka jivan parichay पसंद आया होगा और आप समझ गए होंगे की आप जयशंकर प्रसाद जी के बारे में जीवन परिचय कैसे लिख सकते हो। 

जीवन परिचय में आपको सबसे पहले इनके जन्म के बारे में लिखना है, उसके बाद आप इनकी रचनाओं के बारे में थोड़ी जानकारी दे और फिर आप इनकी काव्यगत या फिर साहित्यक विशेषताओं के बारे में लिखें। 

अंत में आप इनकी भाषा शैली पर थोड़ा सा प्रकाश डाले और फिर उसके बाद आप इनके जीवन परिचय को अंत कर सकते हो। 

तो ऐसे आप Jaishankar Prasad ka jivan parichay लिख सकते हो, हमें आशा है की आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा, यदि आया है तो आप इसे शेयर ज़रूर करें। 

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FAQ

Jaishankar prasad का जन्म कब हुआ?

जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी 1889 को उत्तरप्रदेश में वाराणसी में हुआ था। उनका जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था, उनके पिता एक व्यापारी थे। 

जयशंकर प्रसाद की प्रथम कहानी कौन सी है?

जयशंकर प्रसाद जी ने लगभग 72 कहानियां लिखी है, उनमें से उनकी पहली कहानी थी ‘ग्रान’ यह 1912 में एक प्रतिष्ठित पत्रिका ‘इंदु’ में प्रकाशित हुई थी।

प्रसाद जी द्वारा रचित अधूरा उपन्यास कौन सा था?

जयशंकर प्रसाद जी का अधूरा उपन्यास इरावती था, इसका प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद 1940 में हुआ था। यह इनका अधूरा उपन्यास था, जिसे पूरा करने से पहले ही वह स्वर्ग सिधार गए।